इस पुस्तक से जहाँ एक ओर वन गमन के वास्तविक पथ का मार्ग प्रशस्त होगा, वहीं ऐसे महत्वपूर्ण संतों के आश्रमों और उनके महत्त्व को लोग जान सकेंगे। कालांतर में इन क्षेत्रों में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और उन सभी क्षेत्रों का समुचित विकास होगा और क्षेत्रिय लोगों को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे। लेखक ने श्री राम के प्रथम वन गमन, जब वो ऋषि विश्वामित्र के साथ उनकी यज्ञ रक्षा में गए थे और यज्ञ पूर्ण कर महाराजा जनक के बुलाने पर जनकपुरी गए थे, के मार्ग का भी वर्णन किया है। सम्पूर्ण भारत तथा विश्व में श्री राम के नाम की महिमा, उनके आदर्श और राम नाम की स्थापना की दिशा में एक मजबूत आधार बनेगी और विश्व बंधुत्व तथा वसुधैव कुटुंबकम के आदर्श को स्थापित करेगी।
Weight | 600 g |
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Dimensions | 23 × 16 × 2 cm |
लेखक/Author | Dr. Ramgopal Soni |
Bound | Hardbound |
प्रकाशन तिथि/Publication date | 1 January 2021 |
ISBN-10 | 8194990335 |
ISBN-13 | 978-8194990338 |
भाषा/Language | Hindi |
Type | Hardcover |
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