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प्रखर वक्ता, ओजस्वीवाणी एवं शास्त्र का युगानुकूल
व्यवहारिक विश्लेषण से आप लोकप्रिय कथा व्यास है।
शाजापुर जिले के ग्राम हड़लायकलां में पं. भगवानस्वरूप जी
मनावत- श्रीमती अवंतिका देवी के यहाँ आपका जन्म हुआ। आपके
दादा श्री दुर्गाप्रसादजी मनावत विख्यात भागवताचार्य थे, वहीं
परम्परा आपको रक्त में मिली। सर्वेश्वरी माता श्री किशोरीजी
(अयोध्या) के आप कृपा पात्र शिष्य हैं। परम विद्वान पं. गणेशदत्त
शास्त्री जी व परम विद्वान पं. लीलाधर शर्माजी 'बंधुजी' के आश्रय में
आपने स्वाध्याय किया।
चिंतक, विचारक, साहित्यकार एवं शिक्षाविद् पं. श्यामजी
मनावत ने प्राचार्य के पद से मुक्त होकर कथा के माध्यम से समाज
जागरण का कार्य आरंभ किया। देश के अनेक प्रांतों एवं तीर्थों में
श्रीमद् भावगत, रामकथा, शिवपुराण, देवी भागवत आदि कथा के
विशिष्ट आयोजन होते हैं। मानस सम्मेलनों एवं संत सम्मेलनों के
राष्ट्र स्तरीय आयोजनों में आपकी सहभागिता रही है।
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