Chitthiyaan- Baate Aadhyaatm Ki (Paperback)

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‘बिन सेवा जो द्रवहिं दीं पर’ ऐसे प्रभु कि असीम कृपा से हमें इन दोनों आस्तिक्य पद स्थित, विभूति स्वरूपों का दीर्घकालीन सानिध्य प्राप्त हुआ। दूर अलग शहर में रहने के कारण हमारा इनसे पत्राचार रहा। दोनों के पत्रों में आत्म-बोध का सन्देश रहता था। अतः यह पत्र मेरे जीवन की अमूल्य निधि बन गए। इनको बार बार पढ़कर सदैव ही जीवन संघर्ष में मार्ग दर्शन मिलता रहा। मन में उठी अशांति व दुःख, क्षोभ से मुक्ति मिलती रही। समष्टि प्रेरणा वश फेसबुक पर इन पत्रों को जब पोस्ट किया तो कई मित्रों ने कहा कि उन्हें अपने जीवन की समस्या का समाधान मिल गया, उलझन सुलझ गई। इससे प्रेरित होकर विचार उठा कि इस अमूल्य, दुर्लभ धरोहर को पुस्तक रूप में प्रकाशित कर अधिक से अधिक वितरित किया जाए ताकि आत्मरूप जनता जनार्दन अधिक से अधिक लाभान्वित हो सके। फलस्वरूप ‘चिट्ठियां’ आपके हाथ में है। प्रभु से प्रार्थना है कि आप सब भी इससे लाभान्वित हो स्थाई आनंद, व शांति प्राप्त करेंगे।


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‘बिन सेवा जो द्रवहिं दीं पर’ ऐसे प्रभु कि असीम कृपा से हमें इन दोनों आस्तिक्य पद स्थित, विभूति स्वरूपों का दीर्घकालीन सानिध्य प्राप्त हुआ। दूर अलग शहर में रहने के कारण हमारा इनसे पत्राचार रहा। दोनों के पत्रों में आत्म-बोध का सन्देश रहता था। अतः यह पत्र मेरे जीवन की अमूल्य निधि बन गए। इनको बार बार पढ़कर सदैव ही जीवन संघर्ष में मार्ग दर्शन मिलता रहा। मन में उठी अशांति व दुःख, क्षोभ से मुक्ति मिलती रही। समष्टि प्रेरणा वश फेसबुक पर इन पत्रों को जब पोस्ट किया तो कई मित्रों ने कहा कि उन्हें अपने जीवन की समस्या का समाधान मिल गया, उलझन सुलझ गई। इससे प्रेरित होकर विचार उठा कि इस अमूल्य, दुर्लभ धरोहर को पुस्तक रूप में प्रकाशित कर अधिक से अधिक वितरित किया जाए ताकि आत्मरूप जनता जनार्दन अधिक से अधिक लाभान्वित हो सके। फलस्वरूप ‘चिट्ठियां’ आपके हाथ में है। प्रभु से प्रार्थना है कि आप सब भी इससे लाभान्वित हो स्थाई आनंद, व शांति प्राप्त करेंगे

Authors

Weight 131 g
Dimensions 21 × 13.5 × 0.7 cm
लेखक/Author

Chandrakaant Abhyankar, Maa Ramsakhi Devi

Bound

Staple

ISBN-10

8195237401

ISBN-13

978-8195237401

पृष्ठों की संख्या/No. of Pages

102 Pages

प्रकाशन तिथि/Publication date

8 July 2021

Type

Paperback

भाषा/Language

Hindi

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