किसी समाज के रीति रिवाज उसके प्राण होते हैं। पुराने समय से चली आ रही परम्पराएँ कुछ वैज्ञानिक कुछ धार्मिक महत्त्व रखती हैं। जिनका निर्वाह करना न सिर्फ हमें हमारी संस्कृति से परिचित करवाता है बल्कि हमारे जीवन को सुन्दर और सुखमय बनाता है। यह पुस्तक माहेश्वरी समाज में किए जाने वाले रीति रिवाजों और संस्कारों को जीवित रखने एवं अगली पीढ़ी तक पहुँचाने के माध्यम का कार्य निर्वाह करेगी।
Literature
Hamare Sanskaar Hamare Reeti Rivaj
₹125 ₹113
किसी समाज के रीति रिवाज उसके प्राण होते हैं। पुराने समय से चली आ रही परम्पराएँ कुछ वैज्ञानिक कुछ धार्मिक महत्त्व रखती हैं। जिनका निर्वाह करना न सिर्फ हमें हमारी संस्कृति से परिचित करवाता है बल्कि हमारे जीवन को सुन्दर और सुखमय बनाता है। यह पुस्तक माहेश्वरी समाज में किए जाने वाले रीति रिवाजों और संस्कारों को जीवित रखने एवं अगली पीढ़ी तक पहुँचाने के माध्यम का कार्य निर्वाह करेगी।
किसी समाज के रीति रिवाज उसके प्राण होते हैं। पुराने समय से चली आ रही परम्पराएँ कुछ वैज्ञानिक कुछ धार्मिक महत्त्व रखती हैं। जिनका निर्वाह करना न सिर्फ हमें हमारी संस्कृति से परिचित करवाता है बल्कि हमारे जीवन को सुन्दर और सुखमय बनाता है। यह पुस्तक माहेश्वरी समाज में किए जाने वाले रीति रिवाजों और संस्कारों को जीवित रखने एवं अगली पीढ़ी तक पहुँचाने के माध्यम का कार्य निर्वाह करेगी।
Weight | 85 g |
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Dimensions | 21 × 14 × 0.5 cm |
Type | Paperback |
लेखक/Author | Vishnukanta Gandhi |
भाषा/Language | Hindi |
Bound | Staple |
ISBN-10 | 9393107076 |
ISBN-13 | 978-9393107077 |
प्रकाशन तिथि/Publication date | 31 December 2021 |
पृष्ठों की संख्या/No. of Pages | 50 pages |
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