Hona, Apne Samay Mein – Pavan Verma (Paperback)

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संग्रह की कविताओं में औरतें, बच्चे, बरखा, चिड़िया और उनके बच्चे, दायरे, चेहरे और उनके चरित्र अपनी असलियत के साथ आते हैं, उनकी कांख में सवालों की छोटी-छोटी पोटलियाँ हैं जिन्हें वे वक्त जरूरत खोलते हैं। पाठक और श्रोता समझ जाते हैं कि इन पोटलियों में वही असमंजस भरा है जिससे वे खुद भी दो-चार होते रहते हैं।
पवन वर्मा की ये कविताएँ अपने समय के खुले द्वार पर उनकी दस्तकें हैं जिन्हें सुना जाना चाहिए समझा जाना चाहिए। चूँकि यह उनका पहला संग्रह है इसलिए भी इसे सुधी पाठक अपनी उदारता के साथ न केवल पढ़ेंगे बल्कि अपनी महत्त्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर कवि को उपकृत भी करेंगे।


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संग्रह की कविताओं में औरतें, बच्चे, बरखा, चिड़िया और उनके बच्चे, दायरे, चेहरे और उनके चरित्र अपनी असलियत के साथ आते हैं, उनकी कांख में सवालों की छोटी-छोटी पोटलियाँ हैं जिन्हें वे वक्त जरूरत खोलते हैं। पाठक और श्रोता समझ जाते हैं कि इन पोटलियों में वही असमंजस भरा है जिससे वे खुद भी दो-चार होते रहते हैं।
पवन वर्मा की ये कविताएँ अपने समय के खुले द्वार पर उनकी दस्तकें हैं जिन्हें सुना जाना चाहिए समझा जाना चाहिए। चूँकि यह उनका पहला संग्रह है इसलिए भी इसे सुधी पाठक अपनी उदारता के साथ न केवल पढ़ेंगे बल्कि अपनी महत्त्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर कवि को उपकृत भी करेंगे।

Author

Weight 210 g
ISBN-10

8193706668

ISBN-13

978-8193706664

भाषा/Language

Hindi

लेखक/Author

Pavan Verma

प्रकाशन तिथि/Publication date

1 January 2019

पृष्ठों की संख्या/No. of Pages

88 pages

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